युहाना का रिकॉर्ड
कहानी की शुरुआत
“आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।” युहाना १.१ (1:1)
ईश्वर सृष्टिकर्ता है
“सब कुछ उनके द्वारा उत्पन्न हुआ और जो उत्पन्न हुआ है, कुछ भी उनके बिना उत्पन्न नहीं हुआ।” युहाना १.३ (1:3)
पाप से मुक्ति
यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम लोगों से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है।” युहाना ८.३४ (8:34)
“और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” युहाना ८.३२(8:32)
यीशु ने उससे कहा, “वह मार्ग और वह सत्य और वह जीवन, मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई भी पिता के पास नहीं पहुँच सकता।” युहाना १४.६ (14:6)
यीशु हमारे
बीच रहता था
“और वचन देहधारी हुआ, और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया; और हम ने उनकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते जनित पुत्र की महिमा।” युहाना १.१४ (1:14)
उद्धार
“कि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उन्होंने अपना एकलौता जनित पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उन पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” युहाना ३.१६ (3:16)
“क्योंकि परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा कि वे जगत पर दण्ड की आज्ञा दे, परन्तु इसलिए कि जगत उनके द्वारा उद्धार पाए।” युहाना ३.१७ (3:17)
धन देकर बचानेवाला
“दूसरे दिन यूहन्ना ने यीशु को अपनी ओरकहा देखा और कहा, “देखो, ये परमेश्वर का मेम्ना हैं, जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” युहाना १.२९ (1:29)
यीशु ने उत्तर दिया और कहा… “और यदि मैं पृथ्वी पर से ऊँचे पर उठाया जाऊँगा, तो सभी को अपने पास खिंचूँगा।” पर उन्होंने यह कहा संकेत देने के लिए, कि वे किस मृत्यु से मरेंगे।” युहाना १२.३०,३२,३३ (12:30,32,33)
यीशु का पुनरुत्थान
“पिता इसलिए मुझसे प्रेम रखते हैं, क्योंकि मैं अपना प्राण देता हूँ, कि उसे फिर ले लूँ।” युहाना १०.१७ (10:17)
भविष्य की आशा
“और अनन्त जीवन यह है, कि वे आप एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु ख्रीस्त को जानें,जिसे आपने भेजा है।” युहाना १७.३ (17:3)
भविष्य घर
“तुम्हारे हृदय व्याकुल न हो; तुम लोग परमेश्वर पर विश्वास रखते हो, मुझ पर भी विश्वास रखो। मेरे पिता के घर में बहुत से वासस्थान है, यदि ऐसा न होता, तो मैं तुम लोगों से कह देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करूँ, तो मैं फिर आकर तुम्हें अपने साथ ले जाऊँगा, ताकि जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम लोग भी रहो।.” युहाना १४.१-३ (14:1-3)
परमेश्वर से प्रेम
“यदि तुम लोग मुझसे प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करो।” युहाना १४.१५ (14:15)
“यदि तुम लोग वह सब कुछ करते हो, जिसकी मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ, तो तुम लोग मेरे मित्र हो।” युहाना १५.१४ (15:14)
“मेरी आज्ञा यह है, जैसे मैंने तुम लोगों से प्रेम रखा, वैसे ही तुम लोग भी एक-दूसरे से प्रेम रखो।” युहाना १५.१२ (15:12)
परमेश्वर से बात करना
“यदि तुम लोग मुझ में बने रहो, और मेरा वचन तुम लोगों में बना रहे, तो जो कुछ तुम लोग चाहो मांगोगे; और वह तुम्हारे लिए हो जाएगा।” युहाना १५.७ (15:7)
“और जो कुछ भी तुम लोग मेरे नाम में माँगोगे, वही मैं करूँगा कि पुत्र में पिता की महिमा हो।” युहाना १४.१३ (14:13)
कहानी
जारी रखते हुए
“तुम लोग पवित्र-शास्त्र में ढूँढो; क्योंकि तुम लोग समझते हो कि उस में अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है। और वही पवित्र-शास्त्र मेरे विषय में साक्ष्य देता है।” युहाना ५.३९ (5:39)
यीशु का
संदेश